He still owns a black and white television, living in the era where only two colors said it all.
- Priyanka Agrawal, M.Sc., III Year
- Divneet Kaur Walia, MBA(MM), I Year
Long Distance Relationship.
Her care, his suffocation.
Love on one end, rage at another.
Too much red, on both the sides.
गेंहू की फसल कटने पर आई थी..और टेसू के फूल मेरे दिल मे खिल रहे थे..फाग नानी के घर ही बीतता था..आज रंग था..वो हर बार कीतरह सिर्फ़ आज के लिए ही आने वाला था..उसने गुलाल मेरे चेहरे पर लगाया था..आज प्यार का रंग और गहरा हुआ था...- Zoya Warsi, M.Sc., II Year
जब कभी मैं उससे मिलने के तयशुदा वक़्त से न पहुँचता तो वो मारे गुस्से के आँखें अंगार की तरह लाल कर लेती फिर मैं उसकी ख़ूबसूरती की तारीफ़ में कुछ शेर पढता तो शरमाकर उसके गाल गुलाब की तरह लाल हो जाते। ………… आखिर वो कौन-सा रंग था जो इतने रंग बदलता था ?
Long Distance Relationship.
Her care, his suffocation.
Love on one end, rage at another.
Too much red, on both the sides.
- Priyanka Dharamsi, MBA (MM), I Year
गेंहू की फसल कटने पर आई थी..और टेसू के फूल मेरे दिल मे खिल रहे थे..फाग नानी के घर ही बीतता था..आज रंग था..वो हर बार कीतरह सिर्फ़ आज के लिए ही आने वाला था..उसने गुलाल मेरे चेहरे पर लगाया था..आज प्यार का रंग और गहरा हुआ था...- Zoya Warsi, M.Sc., II Year
जब कभी मैं उससे मिलने के तयशुदा वक़्त से न पहुँचता तो वो मारे गुस्से के आँखें अंगार की तरह लाल कर लेती फिर मैं उसकी ख़ूबसूरती की तारीफ़ में कुछ शेर पढता तो शरमाकर उसके गाल गुलाब की तरह लाल हो जाते। ………… आखिर वो कौन-सा रंग था जो इतने रंग बदलता था ?
- Rahul Jharia, MBA (MM), II Year
खूबसूरत आँखों से देखते हैं हम इस रंगीन दुनिया के सतरंगी रंग
फिर भी कोसते हैं की ज़िन्दगी इतनी आसन नहीं
चलो चले उनकी दुनिया में एक बार जिनकी आँखों में कोई रंग नहीं सिर्फ जीने का होंसला है ।
- Divya Bharti, M.Sc., II Year
खूबसूरत आँखों से देखते हैं हम इस रंगीन दुनिया के सतरंगी रंग
फिर भी कोसते हैं की ज़िन्दगी इतनी आसन नहीं
चलो चले उनकी दुनिया में एक बार जिनकी आँखों में कोई रंग नहीं सिर्फ जीने का होंसला है ।
- Divya Bharti, M.Sc., II Year
Second entry:
सतरंगी चूड़ियों से सजी
माथे पर सिन्दूर लिए
घूमा करती थी अपनी चुनरी हवा में लहराए
पर इस सफ़ेद लिबास में आज तो फूल भी बेरंग लगते है |
माथे पर सिन्दूर लिए
घूमा करती थी अपनी चुनरी हवा में लहराए
पर इस सफ़ेद लिबास में आज तो फूल भी बेरंग लगते है |
- Divya Bharti, M.Sc., II Year
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