The hall then started getting empty... All had left, seeing the plastic way of branding.
- Mehul Newaskar, MBA (MM), I Year
I was playing with my two year old cousin and she was troubling me,I was fed up and told my aunt that I can't take care of her any more.My aunt said that the toddler is my xerox copy and even I was so naughty in my childhood,when I saw my childhood videos it proved that time always comes back.
- Divneet Kaur Walia, MBA(MM), I Year
"Where is Maya?" mum was furious. Mahor tried to suppress his smile. Maya had bribed him with 2 muffins everyday to keep the secret.
"Tell me Mahor, only you know her hideouts. Has she..?"
Suddenly, there was a smoke in the fireplace and she appeared.
Now, the mom knew too. Time had been traveled again.
वो भी क्या वक़्त था जब उसकी कमर पे लटकते चाभियों के गुच्छे वक़्त-बेवक़्त उसके आने की आहट दिया करते थे। तब मैं भी हिसाब रखता था हर एक पल का.…… पर अब ना वो है ना मुझे तिजोरियों की फ़िक्र।.………वक़्त बदला और अब मेरे पास वक़्त ही वक़्त है।
- Rahul Jharia, MBA (MM), II Year
वक़्त वक़्त की बात है..एक वक़्त था जब खबर टेलएग्राम और खत के ज़रिए वक़्त लेकर, मीलो का सफ़र तय कर मुकाम पर पहुचतीथी...
और आज.. पालक झपकते ही...
- Zoya Warsi, M.Sc., II Year
आज ही का दिन था
हम दोनों ने एक साथ इस देहलीज़ के भीतर कदम रखा था
मैं लाल जोड़े में थी सोलह श्रृंगार किये और आप सहेरे में थे
हाथ में क़टार लिए
दिन वही है
पर वक़्त बदल गया की आज
में सफ़ेद जोड़े में हूँ और आप तिरंगे में लिपटे हुए |
- Divya Bharti, M.Sc., II Year
समय के साथ कला को परखने के मायिने भी बदल गए हैं,
जेब में पैसा और हाथ में जाम जब होता है मेरे, लोग मेरी शायरी पर वाह वाह करते हैं..
Suddenly, there was a smoke in the fireplace and she appeared.
Now, the mom knew too. Time had been traveled again.
- Priyanka Dharamsi, MBA (MM), I Year
वो भी क्या वक़्त था जब उसकी कमर पे लटकते चाभियों के गुच्छे वक़्त-बेवक़्त उसके आने की आहट दिया करते थे। तब मैं भी हिसाब रखता था हर एक पल का.…… पर अब ना वो है ना मुझे तिजोरियों की फ़िक्र।.………वक़्त बदला और अब मेरे पास वक़्त ही वक़्त है।
- Rahul Jharia, MBA (MM), II Year
वक़्त वक़्त की बात है..एक वक़्त था जब खबर टेलएग्राम और खत के ज़रिए वक़्त लेकर, मीलो का सफ़र तय कर मुकाम पर पहुचतीथी...
और आज.. पालक झपकते ही...
- Zoya Warsi, M.Sc., II Year
आज ही का दिन था
हम दोनों ने एक साथ इस देहलीज़ के भीतर कदम रखा था
मैं लाल जोड़े में थी सोलह श्रृंगार किये और आप सहेरे में थे
हाथ में क़टार लिए
दिन वही है
पर वक़्त बदल गया की आज
में सफ़ेद जोड़े में हूँ और आप तिरंगे में लिपटे हुए |
- Divya Bharti, M.Sc., II Year
समय के साथ कला को परखने के मायिने भी बदल गए हैं,
जेब में पैसा और हाथ में जाम जब होता है मेरे, लोग मेरी शायरी पर वाह वाह करते हैं..
- Priyanka Agrawal, M.Sc., III Year
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